जीवन में सवाल पसन्द का नहीं होना चाहिए बल्कि पसन्द की खुशी का।
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कहते है “ परिवर्तन ही प्रकृति का स्वभाव है। “ …………………………….. इसका ये मतलब नहीं की आज प्रकृति मे होने वाले परिवर्तन के लिए हम जिम्मेदार नहीं। …………………………….. हमारे वेद , पुराण और देश के त्यौहार-संस्कृति सब हमें परियावर्ण के महत्व को समझाते है। …………………………….. आप और हम सब कुछ जानते हुए भी अपने परियावर्ण के लिए कुछ नहीं करते। …………………………….. अभी भी जागने का समय है “ जल बचाव – कल बचाव “ …………………………….. पेड़ लगाये और वृक्षो का संरक्षण करे।
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