दीवाली मुबारक
Writer:- |
मनिष पाण्डेय
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Total page:- |
1
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Type:- |
कविता
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Page no.:- |
1
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Date:- |
10/19/2017
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Description:- |
दीवाली का त्यौहार हम सभी के जीवन में अपना महत्व रखता है। हमारा पूरा बच्चपन दिवाली के इन्तजार में ही गुजरता था। इस कवीता मे कवी ने दीवाली के त्यौहार को दिनों दिन आधुनिक होते जाने पर तंज कसते हुए अपने बच्चपन की प्यारी दीवाली को चित्रित करने का प्रयास किया है।
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दीवाली का त्यौहार हम सभी के जीवन में अपना महत्व रखता है। हमारा पूरा बच्चपन दिवाली के इन्तजार में ही गुजरता था। इस कवीता मे कवी ने दीवाली के त्यौहार को दिनों दिन आधुनिक होते जाने पर तंज कसते हुए अपने बच्चपन की प्यारी दीवाली को चित्रित करने का प्रयास किया है।
# दीवाली मुबारक
दीवाली का त्यौहार आते ही चूने और नील का घोल झट से एक बाल्टी में घुल जाता था फीकी पड़ चुकी दिवारों पर रंग चटक चढ़ जाता था अलमारी के पीछे से और बक्सों के कोने से फिर धूल उड़ाई जाती थी दादी आँखों में चमक लिए रूई की बाती बनाती थी मिट्टी के दिए बेचने गलियों में कुम्हार आता था आमदनी जो होती थी उससे उसका परिवार त्यौहार मनाता था दीवाली का त्यौहार आते ही बच्चों की छुट्टी पड़ जाती थी और उनकी ख्वाहिशें सातवे आसमान पर चढ़ जाती थी बच्चे एक कागज पर फिर पटाखों की लिस्ट बनाते थे राकेट छुड़ाने के लिए कांच की बोतल खोज के लाते थे दीवाली का त्यौहार आते ही आ जाते थे कुछ और त्यौहार गौवर्धन पूजा, छट, भाई दूज में मिलता था हमें हर्ष अपार सब मिलकर गणेश और लक्ष्मी माँ की पूजा करते थे चारो दिशाओं में शंख–घडियाल गूंजा करते थे पूरा कस्बा मिलकर खुशियाँ एक साथ मनाता था दिल का कोना कोना मोहब्बत से भर जाता था मिठाईयां और पकवान जीवन में मिठास लेकर आते थे कुछ ही दिनों में हम उर्जा के एहसास से भर जाते थे दीवाली का त्यौहार आते ही अब भी होता है सब वैसा जैसा अक्सर होता था मगर अब वो दिए वाला कुम्हार मेरे घर नहीं आता और मैं रंगोली बनाने में माँ का हाथ नहीं बटाता शुगर फ्री पकवान तो स्वाद नहीं देते मुझे बचपन की मीठी याद नहीं देते पटाखों के धुएं से डरकर अब बच्चे एको फ्रेंडली दीवाली मनाते हैं चीनी समान का बहिष्कार करने में अपना राष्ट्र धर्म निभाते है लोग अब फेसबुक वाट्स एप पर दीवाली की बधाई देते हैं सब त्यौहार अब सरकारी कामों की तरह एक खानापूर्ति लगते हैं दीवाली का त्यौंहार आते ही मन बचपन की उस चमकीली दीवाली को खोजता रहता हैं.... ................... ( मनीष आशिक )
उमीद हैं आप सभी दोस्तो को मेरी पिछली रचनाओ की तरह ही मेरी यह रचना भी बेहद पसंद आयेगी। आप मुझे सीधे अपने विचार भेज सकते है। आपके प्यारे प्यारे ईमेल का मूझे हमेशा इंतजार रहेता है। मेरी ईमेल आईडी है – meghapandu51@gmail.com
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