शरद की रात ...
Writer:- |
मनीष पाण्डे
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Total page:- |
1
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Type:- |
कविता
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Page no.:- |
1
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Date:- |
2/3/2018 1
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Description:- |
प्रस्तुत् पंक्तियों में कवी ने प्रकृति के माध्यम से प्रेम को व्यक्त करने के प्रयास किया है। देखा जाय तो प्रेम और प्रकृति एक दूसरे से जुड़े हुए है। जिसके हृदय में प्रेम होता है सही मायने में वो ही प्रकृति को समझने का प्रयास कर सकता है। हमारे आस पास का वातावरण हमें आपस में प्रेम करना ही सिखाता है।
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प्रस्तुत् पंक्तियों में कवी ने प्रकृति के साथ साथ अपने अपार प्रेम की व्याख्या करने का प्रयास किया है। जिसे कवी ने अपने शब्द कौशल से बखूबी अपनी पूरी कविता में निभाया भी है। प्रेम और प्रकृति दोनो ही सम रूप है और दोनो ही भगवान द्वारा हम जीवो को दिया गया एक वरदान भी। जिसे हमें हमेशा याद रखना चाहिए।
शरद की रात.....
शरद की रात, पर्दे से निकल कर
चमकती चाँदनी के साथ मिलकर
मेरे हर लफ़्ज के मानी बदल कर
मेरे ही साथ फिर पानी में चलकर
तुम अपनी ऊँगलियों की हरकतों से
बुनो दुनिया नई ,जिसमें कि जानां
हमारा ख्वाब ही बस हो हकीक़त
रंग नीला, हरा ,पीला ,गुलाबी
देख इक दूसरे को मुस्कुराएँ
पड़े जब रोशनी आँचल से छनकर
रंग ये और खिलकर सामने आएँ
और सारे रंग लिपट एक दूसरे से
मोहब्बत को उभारें कैनवस पर
बस इतना ख्वाब ही मैं कुछ दिनों से
मुसलसल देखता ही जा रहा हूँ
शरद की रात फिर से आ गई है
और अब बाकी नहीं कोई बहाना
सो तुम्हारी इक झलक की जूस्तजू में
मैं शिकारे पे लिए पशमीना चादर
तुम्हारा आज शब रस्ता तकूँगा
..................
............................मनीष "आशिक़ ".
उमीद हैं आप सभी दोस्तो को मेरी पिछली रचनाओ की तरह ही मेरी यह रचना भी बेहद पसंद आयी होगी। आप मुझे अपने विचार सीधे मेरी ईमेल आईडी पर भेज सकते है। आपके प्यारे प्यारे ईमेल का मूझे हमेशा इंतजार रहेता है। मेरी ईमेल आईडी है – meghapandu51@gmail.com
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