उत्तराखण्ड के देवता गंगनाथ जी.....
Writer:- |
सुन्दर जी
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Total page:- |
11
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Type:- |
प्रेम कहानी
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Page no.:- |
1
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Date:- |
4/17/2014
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Description:- |
उत्तराखण्ड में अनेको प्राचीन कथाएँ प्रसिद्ध है। उनहीं प्राचीन कथाओं में से गंगनाथ जी की कथा भी है। गंगनाथ जी कथा प्राचीन होने के साथ ही बहुत आधुनिक भी है। गंगनाथ जी पूरे उत्तराखण्ड में भगवान की तरहा पूजे जाते है। और उनके लाखो भक्त भी है। उत्तराखण्ड में गंगनाथ जी की कथा को एक गीत के माध्यम से उनकी पूजा में जगरी के द्वारा गाया जाता है। जो कि उत्तराखण्ड की स्थानिय भाषा में होता है। जिसे समझना इतना सहज नहीं होता। हमारी कथा केवल उसकी दर्शन मात्र है । पर आप को यह बहुत कुछ बता पाने में शक्षम है।...........
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उत्तराखंड में हिमालय की श्रेणीयों में लाखो देवी देवताओ का निवास है। और उन सभी देवी देवताओ की अपनी अपनी परमपरागत बहुत सी कथाऐं भी है। देव भूमी कही जाने वाले उत्तराखंड का इतिहास भी इसीलिए बहुत रोचक है। और यहा की प्राचीन सभ्यताएँ और कथाएँ उत्तराखण्ड को और भी खूबसूरत बना देती है। यहा के बहुत से देवी देवताओ ने यही पे जन्नम लिया और अपनी शक्ति ओर कार्य कौशल्य से देवता के रूप मे पूजे जाने लगे। ऐसे ही एक देवता है गंगनाथ जी। जिनकी पूजा भी पूरे उत्तराखंड में की जाती है। ये शुखः , सम्रधि और न्याय के देवता के रूप मे पूजे जाते है।
हमारा ये लेख उत्तराखंड के स्थानीय लोग और कुछ बुर्जुग लोगो के द्वरा सुनाई गयी कहानीयों पे आधारित है। अगर किसी प्रांतीय लोगो या व्यक्ति विशेष को अपत्ति हो तो आप हमें अपने विचार वेब साईट की ईमेल आईडी पे भेज सकते हैं हम सभी के विचारों का स्वागत करते हैं। हमारा उद्देश्य केवल लोगो तक प्राचीन कथाओं को पहुचाने तक हैं। अगर कसी भी प्रकार हमारा लेख किसी के धार्मिक आस्था को ठेस पहुचाता हैं तो हम क्षमा चाहेंगें। हम किसी धर्म का विरोथ नही करते बल्कि सभी धर्म और जातीयों की अपनी मान्यताएँ और महत्व होता है।
गंगनाथ जी की कथा बहुत ज्यादा पुराने समय की नहीं हैं। ये उस समय की बात है जब दिल्ली के शासक औरंगजेब थे। उस समय मस्लिम धर्म का ज्यादा प्रभाव और प्रसार था। कुछ हिन्दु अपने धर्म की रक्षा के लिए हिन्दुस्तान के दूर प्रान्तों के छोटे - छोटे राज्यों में जा के शरण ले रहे थे। उस समय उत्तराखण्ड का जिला, अल्मोड़ा एक राज्य हुआ करता था। जिसका कार्य क्षेत्र बहुत दूर तक था। उस समय अल्मोड़ा में चदं वंश के राजा चंद राज्य करते थे । और उन्होने बहुत से मन्दिरों का निर्माण भी कराया। एक बार राजा चंद के पुत्र कि तबियत बहुत खराब होगयी थी और वो हमेशा बिस्तर पे ही पढे रहते थे। उनकी इस दशा को देख के राजा चंद और उनकी पत्नी दोनो चिंता मे रहते थे। उसी समय एक जोशी ब्रहम्ण अल्मोड़ा पहुचे। वो अपने धर्म कि रक्षा के लिए अपनी जन्म भूमी से दूर अपनी पुत्री भाना के साथ अल्मोड़ा पहुचे थे।
जोशी जी को आयुर्वेद का अच्छा ज्ञान था। जब जोशी जी ने राजा के पुत्र की बिमारी की खबर सुनी तो वो राजा के पास गये और उनके पुत्र का उपचार करने को कहा। राजा ने अपने सभी वैद की औशधी का उपयोग करके देख चूके थे। और कोई फयदा होते उन्हें नजर नहीं आ रहा था। पर जोशी की बातों में उन्हें थोड़ी आशा नजर आयी और राजा ने उन्हें अपनी पुत्र के उपचार की आज्ञा दे दी।
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