चमत्कारी ग्वेलज्यू महाराज जी
Writer:- |
सुन्दर लाल जी
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Total page:- |
9
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Type:- |
सामान्य कहानी
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Page no.:- |
1
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Date:- |
12/25/2014
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Description:- |
ग्वेलज्यू (गोलू) महाराज जी पूरे उत्तराखड पूजे जाने वाले देवता ही नहीं बल्कि पूरे उत्तरखडं में न्याय दिलाने वाले देवता के नाम से भी जाने जाते है। गोलू जी जितने खुद चमत्तकारी थे। उतनी ही चमत्तकारी उनकी कथा भी है। सभी को उन का आर्शिवाद प्राप्त हो।
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नमस्कार दोस्तो आज हम आपके लिए उत्तराखण्ड के ईष्टदेव ग्वेलज्यू महाराज जी जिन्हें गोलू जी के नाम से भी जाना जाता है इनके जन्म की रोचक कहानी लाये हैं।
गोलू देवता जी को पूरे उत्तराखण्ड में पूजा जाता है। इनहें उत्तराखण्ड के पूरे कुमॉउ में ही नहीं बल्कि गड़वाल मे भी बहुत जगहा पूजा जाता है। इनहे बहुत नामो से भी पुकारा जाता है। जैसे गोलज्यू ,गौर भैरव, श्री ग्वेल ज्यू बाला गोरिया, ग्वेल देवता , न्यायकारी, कृष्णावतारी एवं दूधाधारी भी कहते हैं। कहा जाता है ये अत्यधिक गोरे थे इसलिए इनहें दूधाधारी कहा जाता था। और भैरव जी के अवतार माने जाने के कारण इनको लोग गौर भैरव भी कहते थे।
कुछ जगह लोग इनहें कृष्णावतारी भी कहते हैं। न्यायप्रीय होने कारण ही ये न्यायकारी देवता के नाम से भी जाने गये। अपने पारद्रशी न्याय और समानता की वजह से ये प्रजा में बहुत लोकप्रीय भी थे। लोग दूर दूर से अपनी समस्या इनके पास लाते थे और उचित न्याय पाकर खुशी खुशी अपने घर जाते थे।
इनके बारे मे तो यहा तक कहा जाता है कि गोलू देवता ऐसे राजा थे जिनके जीवित रहते ही लोगो ने इनके मंदिर बना के इनकी पूजा करने लगे थे। तो आप सभी अंदजा लगा सकते हैं गोलू जी कितने चमतकारी रहे होगें। और होते भी क्यू नही उनकी जन्म की कहानी ही इतने चमतकारो से जो भरी है। तो चलिए हम गोलू जी की कहानी पे आते है।
वैसे इसे कहानी कहना गलत होगा। क्यू की ये एक इतिहास है उत्तराखण्ड का। पर ये लेख केवल गॉव के पुराने लोगो की सुनयी हुई कथा और इनके पुराने मंदिरो से मली जानकारी पर ही आधारित हैं जो की कही से भी इस कथा को पूर्ण सत्य कहलाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। तो हम इसे कहानी ही कहना सही समझते है।
अगर किसी समुदाय व्यक्ति या विशेष को इस कथा से कोई आपत्ति हो तो हमें जरूर कहें हमें आपके सुझावों का इंतजार रहेगा। चलिए अब हम कथा शुरू करते है।
ये कहानी बहुत प्रराचीन समय की है। लगभग 6 वी शताब्दी से 12 शताब्दी तक उत्तराखण्ड में कत्यूरी राज वंश का राज था। और 1191 और 1223 के दौरान दोती (पश्चिम नेपाल) के मल्ल राजवंश के अशोका मल्ल और क्रचल्ला देव ने कुमाँऊ में आक्रमण किया। जिस से कत्यूरी वंश छोटी छोटी रियासतों में सीमित होकर रह गया।
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