एक कथा बाबा काल भैरव जी की……
Writer:- |
सुन्दर लाल जी…
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Total page:- |
11
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Type:- |
लेख
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Page no.:- |
1
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Date:- |
6/4/2015 1
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Description:- |
देव भूमी उत्तराखण्ड पर ये पहला लेख है जो की आपको उत्तराखण्ड की अदभुत लोक संस्कृती से अवगत करायेगा। ये लेख बाबा काल भैरव जी की उत्तराखण्ड मे अत्यनत मान्यता और उनके अदभुत चमत्कार का वर्णन है। जो की एक सत्य घटना पर आधारित है परंतु कुछ कारणों से व्यक्ति विशेष और स्थान के नाम बदल दिये गये है। ये घटना उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिले की ही है परंतु गॉव का नाम बदल दियागया है। उमीद है आप लोगो को ये लेख पसंद आयेगा। धन्यवाद …. जय बाबा काल भैरवा ।
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आज हम आप सभी को उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिला ले के चलते है। ये जगह उत्तराखण्ड के कुमाऊ मण्डल के तीर्थ स्थान भी कही जाती है। यहॉ पे सरयू नदी और गोमती नदी के संगम होने के कारण भी बागेश्वर का अपना विशेष महत्व है। ये ही नहीं यहा पे शिव जी के बाघ रुप मे विचरण करने के कारण यहा पर बाघनाथ के नाम से शिव जी का मंदिर भी है। और प्राचीन काल के ऋषी मारकण्डेय जी ने भी यहा कयी वर्ष तक तप किया है।
इन सभी कारणो से बागेश्वर धाम आने वाले लोगो की भीड़ हमेशा बनी रहती है। बागेश्वर धाम की अपनी अलग महीमा और महत्व है। पर आज हम आपको उत्तराखण्ड के बारे में कुछ विशेष बताने जा रहे है।
उत्तराखण्ड की संस्कृती जितनी भिन्न है उतनी ही अनजान भी है। सबसे ज्यादा अनोखा और अदृभुत यहा भगवान की पूजा करने का तरीका है। यहा पूजे जाने वाले देवता भी विशेष है और उनकी कथा भी रोचक और अदृभुत है। यहा के कुछ देवता जैसे गोलू महाराज और बाबा गंगनाथ जी की कथा हम अपनी वेग साईट पे पहले प्रकाशित कर चुके है। पर आज हम आपको उत्तराखण्ड के बहूत विशेष देवता बाबा काल भैरव जी के बारे मे बताने जा रहे है। काल भैरव जी के बारे मे शिव पुराण मे पढ़ने को मिलता है। और माता शति के शक्ति पीठो की रक्षा का कार्य भी काल भैरव के अलग अलग रूपो को दिया गया है।
उत्तराखण्ड मे भी लोग बाबा काल भैरव जी की पूजा करते है। परंतु ये कहना मुश्कलि है की वो काल भैरव जी के कौन से रूप की पूजा करते है। क्योकी शिव जी ही एक मात्र ऐसे देवता है जिनकी पूजा करने के बहुत से भिन्न भिन्न तरीके है जो की भिन्न भिन्न लोगो द्वारा अपनाये जाते है। कुछ तो लोगो को पता है और हो सकता है और भी बहुत से तरीके हो । क्यूकि आप सभी जानते है शिव जी तो अनंनत है और उनकी कथी भी अननत है। जिसे जानना किसी के लिए भी सम्भव नहीं है। और बिना ज्ञान कुछ कहना भी उचित नहीं है।
हमारा मकसद केवल उत्तराखण्ड की संस्कृती के बारे मे आप सबको बताना है। अगर आप को इस लेख मे कोई त्रुटी लगे तो हमें जरूर बतार्इएगा । हम आप के जरीये अपने लेख को त्रुटी मुक्त जरूर करना चाहेगें । चलिए अब हम अपनी कथा पे आते है।
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