उत्तराखण्ड के देवता गंगनाथ जी.....
Writer:- |
सुन्दर जी
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Total page:- |
11
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Type:- |
प्रेम कहानी
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Page no.:- |
10
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Date:- |
4/17/2014
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Description:- |
उत्तराखण्ड में अनेको प्राचीन कथाएँ प्रसिद्ध है। उनहीं प्राचीन कथाओं में से गंगनाथ जी की कथा भी है। गंगनाथ जी कथा प्राचीन होने के साथ ही बहुत आधुनिक भी है। गंगनाथ जी पूरे उत्तराखण्ड में भगवान की तरहा पूजे जाते है। और उनके लाखो भक्त भी है। उत्तराखण्ड में गंगनाथ जी की कथा को एक गीत के माध्यम से उनकी पूजा में जगरी के द्वारा गाया जाता है। जो कि उत्तराखण्ड की स्थानिय भाषा में होता है। जिसे समझना इतना सहज नहीं होता। हमारी कथा केवल उसकी दर्शन मात्र है । पर आप को यह बहुत कुछ बता पाने में शक्षम है।...........
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जोशी जी ने एक सूचना गंगनाथ जी को भेजवायी कि रात्री को गाँव के बाहर वाले कुएँ पर मिले। हमे अपनी बेटी के रिशते को लेकर कुछ बात करनी है इस लिए हो सके तो अकेले आना। गंगनाथ जी ये संदेश पड़ के बहुत खुश हुए। और यथा स्थान पर समय पे अकेले ही पहुच गये। पर जोशी जी वहा पहले से मौजूद थे।
गंगनाथ जी ,जोशी जी को कुएँ कि दिवार पर बैठा देख के, गंगनाथ जी उनके पास गये और बोले, जी बोलीये आपने क्या कहने को हमें यहा बुलवाया। जोशी जी कहते है। अपनी बेटी की इच्छा को देखते हुए हम उसका विवाह तुम से कराने को तैयार है। तुम्हे कुछ कहना हो तो कह सकते हो। इतना सुन के गंगनाथ जी बहुत खुश हो जाते है। उन्हें बिन मांगे उनकी मुराद मिल गयी थी।
गंगनाथ जी खुशी में जोशी जी के चरणों में गिर कर कहते है। कुछ नहीं कहना मुझे आपने बिना कुछ कहे ही सब कुछ देदिया मुझे। मैं भाना के हाथ के लिए जीवन भर आपका ऋणी रहुगां। इतना कह के गंगनाथ जी उठने लगते है। पर जोशी जी, गंगनाथ जी के सर पर अपना हाथ रख देते है। और उनहें उठने नहीं देते है। गंगनाथ जी कुछ समझ नहीं पाते है। और वैसे ही रुक जाते है। इतने में जोशी जी अपने द्वारा लाये हुए लोगों को इशारे से गंगनाथ जी पे वार करने को कहते है। और उनमें से एक व्यक्ति आगे बड़ के कुलहाड़ी से गंगनाथ जी के गर्धन पर वार कर देता है। गंगनाथ जी को समझने का समय ही नहीं मिल पाता है और इस प्रहार से उनकी मर्त्यु हो जाती है। । और फिर सभी लोग गंगनाथ जी को उठा के उसी कुए में फेंक कर चले जाते हैं। जोशी जी की चिंता का अतं हो गया था। और आधि रात को अपने घर को चल दिये।
जब जोशी जी घर के अंदर जाते है, तो उन्होंने देखा की भाना ने अपने सारे बाल फैलाये हुए है। और वो कमरे में गोल-गोल चक्कर लगा रही है। ये देख के जोशी जी ने कहा तू यह क्या कर रही है सोई नहीं अभी तक। जोशी जी की आवाज सुनके भाना रुक जाती है। और जोशी जी को घूर के देखती है। और भारी आवज में कहती है। मार आये तुम मुझे वहा। भाना का ये रुप जोशी जी ने पहली बार देखा था। वो घबराके कहते है। बेटी तु ये क्या कह रही है। भाना इतना कहते ही घर से बाहार भागजाती है। उसके पिछे पिछे जोशी जी भी चिल्लाते हुए भागते है रुक जा बेटी ये क्या कर रही है तू। जोशी जी की आवाज सुनके और भी लोग जोशी जी के पिछे पिछे आते है। भाना उसी कुएँ के पास जा के रूक जाती है। जोशी जी कहते है तू यहा क्या करने आयी। तब भाना कहती है। तूने मुझे मार कर भाना से अलग किया और अब मैं भाना को अपने साथ लिए जा रहा हु। इतना कह के भाना कुएं में कूद जाती है। यह देख के जोशी जी बेहोश हो जाते है। और उनके होश मै आने पे वो पगलों की तरह व्यवहार करने लगते है।
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