उत्तराखण्ड के देवता गंगनाथ जी.....
Writer:- |
सुन्दर जी
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Total page:- |
11
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Type:- |
प्रेम कहानी
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Page no.:- |
5
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Date:- |
4/17/2014
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Description:- |
उत्तराखण्ड में अनेको प्राचीन कथाएँ प्रसिद्ध है। उनहीं प्राचीन कथाओं में से गंगनाथ जी की कथा भी है। गंगनाथ जी कथा प्राचीन होने के साथ ही बहुत आधुनिक भी है। गंगनाथ जी पूरे उत्तराखण्ड में भगवान की तरहा पूजे जाते है। और उनके लाखो भक्त भी है। उत्तराखण्ड में गंगनाथ जी की कथा को एक गीत के माध्यम से उनकी पूजा में जगरी के द्वारा गाया जाता है। जो कि उत्तराखण्ड की स्थानिय भाषा में होता है। जिसे समझना इतना सहज नहीं होता। हमारी कथा केवल उसकी दर्शन मात्र है । पर आप को यह बहुत कुछ बता पाने में शक्षम है।...........
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इसलिए हे भाना आप हमारी चिंता मत करो हम जरूर विजयी होंगें। हमने कभी पीछे हटना नहीं सीखा जब हमारा नाम प्रतियोगिता में शामिल हो चुका है तो हम पिछे नहीं हट सकते। हम कायर नहीं कहलाना चाहते। लड़ते हुए प्रण भी चले गये तो भी हम वीर तो रहेगें ही। और अगर जोशी जी हमारी परीक्षा लेना चाहते है। तो हमें मजूंर है उनकी परीक्षा।
इतना सुनके भाना रोने लगी और कहने लगी मेरे सौभाग्य से ही आप हमे मिले हो और मैं आप को खोना नहीं चाहती । तब गंगनाथ जी ने कहा तुम से मिलने के लिए ही सायद मै इन जगंलो में भटक रहा था। मैं भी तुम से दूर नहीं रह सकता पर शयद जोशी जी हमें कभी विवाह की अनुमती नहीं देंगें। तब भाना कहती है, मैं बाबा को मना लुगीं और नहीं माने तो हम दूर कही चले जायेंगे। गंगनाथ जी कहते है, मैं अपने कर्म से पिछे नही हट सकता। तुम चितां मत करो मुझे कुछ नहीं होगा। पर भाना फिर भी रोती ही रहती है।
अगले दिन प्रतियोगिता शुरू हो जाति है। गंगनाथ जी की वीरता के चर्चे पहले से ही पूरे राच्य में गूंज रहे थे। राजा भी उनकी वीरता के किस्से जोशी जी से सुन कर बहुत प्रभावित थे। इसलिए राजा ने ये धोषणा की सभी वीरो की प्रतियोगिता होने के बाद जो वीर सबसे शक्तिशाली होगा वो ही गंगनाथ जी से युद्ध करेगा। इस प्रतियोगिता को देखने के लिए पूरे राज्य से लोग दूर-दूर से आये हुए थे। और भाना भी युद्ध देखने के लिए दर्शको के बीच बैठी हुई थी।
राजा की आज्ञा होते ही प्रतियोगिता आरम्भ हो गयी। बहुत से वीरो ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया। और खूब वीरता से युद्ध किया सभी दर्शक युद्ध देख के रोमांचित हो रहे थे। और भाना घायल योद्धाओ को देख के रो रही थी। उन्हें गंगनाथ जी कि चिंता हो रही थी। चारो ओर वीर योद्धाओ की चय कार गूंज रही थी। राजा भी वीरो की वीरता का सम्मान कर रहे थे। सभी वीरो की युद्ध समाप्त होने पर, राज्य के सेनापती ही विजय धोषित हुए । राजा के सेनापती ने सभी वीरो को युद्ध मे पराजित कर दिया था। सेनापती भी वीरो में वीर था और सेनापती की युद्ध कौशल देख कर भाना और भी ज्यादा चिंतित हो रही थी और आशु बहा रही थी।
पर गंगनाथ जी अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे। जब सेना पति विजय हुए तो राजा ने सेना पति को गंगनाथ जी से युद्ध करने की आज्ञा दी। आज्ञा पा के गंगनाथ जी युद्ध भूमी मे कूद पड़ते है। गंगनाथ जी को यूद्ध भूमी मे आता देख के चारो ओर गंगनाथ जी की जय जय कार गूंजने लगती है। सभी गंगनाथ जी की वीरता से परिचित होना चाहते थे।
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