उत्तराखण्ड के देवता गंगनाथ जी.....


Writer:- सुन्दर जी Total page:-   11
Type:- प्रेम कहानी Page no.:- 7
Date:- 4/17/2014    
Description:- उत्तराखण्ड में अनेको प्राचीन कथाएँ प्रसिद्ध है। उनहीं प्राचीन कथाओं में से गंगनाथ जी की कथा भी है। गंगनाथ जी कथा प्राचीन होने के साथ ही बहुत आधुनिक भी है। गंगनाथ जी पूरे उत्तराखण्ड में भगवान की तरहा पूजे जाते है। और उनके लाखो भक्त भी है। उत्तराखण्ड में गंगनाथ जी की कथा को एक गीत के माध्यम से उनकी पूजा में जगरी के द्वारा गाया जाता है। जो कि उत्तराखण्ड की स्थानिय भाषा में होता है। जिसे समझना इतना सहज नहीं होता। हमारी कथा केवल उसकी दर्शन मात्र है । पर आप को यह बहुत कुछ बता पाने में शक्षम है।...........


Page Number - 7

सेनापती अनुभवी थे उन्हें पता था शेर को कैसे पराजित करना है। और वो अपना पूरा अनुभव प्रयोग कर रहे थे। पर युद्ध के दौरान उन्हें शेर ने घायल कर दिया। परंतु सेनापती ने युद्ध रोकने से मना कर दिया। और शेर का सामना करते रहे। सेनापती जी की छोटी सी गलती होने पर शेर उन्हें मार देता है। सेनापती का ये हाल देख के सभी दर्शक बिलकुल शातं हो जाते है। और एक वीर की मर्त्यु पर शोक करने लगते है। तब राजा उठते है। और कहते है।

वीरो का काम होता है हमेशा वीरता से जीना। सेनापती चाहते तो यूद्ध रुकवा सकते थे परंतु वो हार के जीना नहीं चाहते थे। वो एक सच्चे वीर थे और उनकी वीर गती पर हमें भी आंशु बहा कर उनकी वीरता का अपमान नहीं करना चाहिए बल्कि उन पर हमें गर्व करना चहिए कि इतना वीर पुरूष ने हमारे राज्य की बहुत सेवा की, और युद्ध करते हुए वीर गती को प्राप्त हुए । हमसभी उनकी इस वीरता का सम्मान और उन पर गर्व करते है। सभी ने सेनापती कि जय जय कार की और पुरा युद्ध स्थल सेनापती के जय कार से गूंजने लगा।

इतना कह के राजा ने प्रतिय़ोगिता को आगे क्रियानवित करने का आदेश दिया। इतना सुनते ही गंगनाथ जी ने शेर के सामने छालागं लगा दी। यह देख के सभी ने अपनी सांसे थाम ली। और चारो ओर फिर से शांति फैल गयी। गंगनाथ जी ने भी सेनापती कि तरह पहले शेर के वार से खुद को बचाते रहे और समय मिलने पे शेर पर वार करते रहे। पर शेर अधिक क्रोध मे दिख रहा था वो जल्द से जल्द गंगनाथ जी का वध करने के लिए पूरे बल से वार कर रहा था। शेर के क्रोध के देख के सभी भयभीत हो रहे थे। और भाना भी ये सब देख के अधीर हो रही थी। पर गंगनाथ जी शेर का मुकाबला पूरी वीरता से कर रहे थे। और शेर के सीने और सर पर जोर-जोर के प्रहार कर रहे थे। जिससे शेर का क्रोथ और बड़ रहा था। लगने लगा था कि जल्द ही शेर गंगनाथ जी को खाना चाहता है। पर गंगनाथ जी उसे अच्छा जवाब दे रहे थे।

पर अब शेर ने अपनी पूरी शक्ति लगा के गंगनाथ जी के ऊपर छालांग लगा दी सभी ने अपनी उगंलिया दातों तले दबा ली। पर गंगनाथ जी ने शेर के दोनो पंजो को अपनी बालिष्ट भुजा से पकड़ के उन्हें चिरे हुए अपने पैरो से दबा लिया और अपनी ताकत का परिचय देते हुए शेर के मुख के दोनो जबड़ों को अपने दोनो हाथो से पकड़ के शेर के मुह को बीच से चीर दिया। सभी दर्शक गंगनाथ की ताकत को देख के चकित रह गये। और इतने शक्तिशाली पुरुष को देख के आर्श्चय चकित भी हुए। इतना होते ही शेर का शरीर शिथल होने लगा। फिर गंगनाथ जी ने शेर के शिर पर एक शक्तिशाली प्रहार से शेर के जीवन का अंत कर दिया। शेर कि मर्त्यु धोषित होते ही पूरी यूद्ध भूमी गंगनाथ जी के जय कारे से गूंजने लगी। सभी गंगनाथ जी की वीरता की चर्चा करने लगे। और कहने लगे ऐसा वीर सायद कही दूसरा हो।

Page Number - 7




Please send Your complaint and Suggestion at our Email Id(apnikahaniweb@gmail.com )

______________________________________________________________________________
______________________________________________________________________________
Serise of this story
उत्तराखण्ड के देवता गंगनाथ जी.....
 
//

Read Hindi stories, Poetry, Uttrakhand stories and many good thoughts on the web site www.apnikahani.biz

उत्तराखण्ड की कहानियाँ


चमत्कारी ग्वेलज्यू महाराज जी,11उत्तराखण्ड के देवता गंगनाथ जी,11एक कथा बाबा काल भैरव जी की,11 राजूला – मालूशाही की अमर प्रेम कथा...

Custom Search
Search the Web with WebCrawler