एक कथा बाबा काल भैरव जी की……
Writer:- |
सुन्दर लाल जी…
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Total page:- |
11
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Type:- |
लेख
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Page no.:- |
8
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Date:- |
6/4/2015 1
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Description:- |
देव भूमी उत्तराखण्ड पर ये पहला लेख है जो की आपको उत्तराखण्ड की अदभुत लोक संस्कृती से अवगत करायेगा। ये लेख बाबा काल भैरव जी की उत्तराखण्ड मे अत्यनत मान्यता और उनके अदभुत चमत्कार का वर्णन है। जो की एक सत्य घटना पर आधारित है परंतु कुछ कारणों से व्यक्ति विशेष और स्थान के नाम बदल दिये गये है। ये घटना उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिले की ही है परंतु गॉव का नाम बदल दियागया है। उमीद है आप लोगो को ये लेख पसंद आयेगा। धन्यवाद …. जय बाबा काल भैरवा ।
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Page Number - 8
जब कुछ समझ नहीं आया तो शुखिया ने हरूली को कुछदिन मौसी जी के यहा ही रहने का सुझाव दिया। हरूली भी अपने बच्चो को ऐसी जगहा नहीं रखना चहती थी इसलिए वो भी मान जाती है और दोनो अपने बच्चो को लेके अपनी मौसी जी के यहा रहने चल देते है।
हरूली का घर भी गॉव के घरो से थोड़ा दूर था। जैसे की उत्तराखण्ड के गॉव मे होता है। कुछ घर तो साथ मे होते है पर कुछ लोग अपना घर अलग भी बनाते है जहा उनके कुछ खेत भी पास में और जानवर रखने केलिए भी जगहा हो जाय। इसलिए कुछ घर गॉव से जरा हट के होते है शुखिया का घर भी थोड़ा गॉव के घरो से दूर होने पर जरूरत पड़ने पर पड़ोस के लोग भी नहीं सहायता को जल्दि नहीं आ सकते थे। इसलिए उनका मौसी के यहा जाना ही सहीं था।
मौसी जी शखिया को इतनी रात पूरे परीवार के साथ आया देख के उन्हें समझ ने मे ज्यादा देर नहीं लगी। उन्होंने दोनो बच्चो को खाना खिला के सुलादियाफिर शुखिया से पूछा अब आगे क्या सोचा है?
शुखिया और हरूली एक दूसरे को देख कर कहते है हम क्या कहे मौसी जी आप ही कोई हल सोचो हमारे कुछ समझ मे नहीं आ रहा है। मौसी जी कहते है देखो न तुम कुछ जानते हो और न मै तुम एैसा करो अपने घर के ईष्ट देवताओ की जागर लगवाओ । अब वो ही कोई रास्ता दिखायेगें।
शुखिया – मगर मौसी जी जब हम अपने घर मे रह नहीं पा रहे है तो जागर कैसे लग सकती है हमारे घर में।
मौसी जी – थोड़ा धैर्य रखो और हिमत से काम लो। जागर करने मैं तुम अकेले थोड़े होगे गॉव के और भी लोग होंगे साथ में । इसलिए तुमहें डरने की जरूरत नहीं है। क्यूकी कोई न कोई गलती तुम से जरूर हुई है भले अनजाने मे हुई हो। वरना इतना सब कुछ नहीं होता बेटा तुम्हारे साथ।
हरूली – जो भी हो मौसी जी पर हमारे बच्चो को हमारे किये की सजा मिलना तो ठीक नहीं है ना। हम अपनी हर गलती के लिए माफी मांगने को तैयार है पर हमें एैसे परेशान करने का क्या मतलब बनता है।
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