उत्तराखण्ड के देवता गंगनाथ जी.....
Writer:- |
सुन्दर जी
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Total page:- |
11
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Type:- |
प्रेम कहानी
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Page no.:- |
9
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Date:- |
4/17/2014
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Description:- |
उत्तराखण्ड में अनेको प्राचीन कथाएँ प्रसिद्ध है। उनहीं प्राचीन कथाओं में से गंगनाथ जी की कथा भी है। गंगनाथ जी कथा प्राचीन होने के साथ ही बहुत आधुनिक भी है। गंगनाथ जी पूरे उत्तराखण्ड में भगवान की तरहा पूजे जाते है। और उनके लाखो भक्त भी है। उत्तराखण्ड में गंगनाथ जी की कथा को एक गीत के माध्यम से उनकी पूजा में जगरी के द्वारा गाया जाता है। जो कि उत्तराखण्ड की स्थानिय भाषा में होता है। जिसे समझना इतना सहज नहीं होता। हमारी कथा केवल उसकी दर्शन मात्र है । पर आप को यह बहुत कुछ बता पाने में शक्षम है।...........
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जोशी जी ने विचार किया जब तर्क से हल ना निकले तो राजनीती का प्रयोग कर लेना चाहिए। और योजना बनाने लगे। जोशी जी ने भाना के पास गये और उस से प्यार से कहा। बेटी मैं तैयार हु तेरा विवहा गंगनाथ से कराने के लिए पर तुझे मेरी बात माननी पड़ेगी। भाना ये सुन कर खुश हुई और बोली बाबा मैं आपकी सभी बात मानुगीं। तब जोशी जी ने कहा। हमारी जाती के कुछ लोग यहा आने वाले है। उनके आने के बाद ही तुम्हारा विवाह गंगनाथ से तभी पूरी विधि से हो पायेगा। तो तब तक तुम गंगनाथ से नहीं मिलोगी। तुमहारा गंगनाथ से ऐसे मिलने से हमारी जग हसायी होगी। और गंगनाथ को भी ये बात मैं बता दुगां। भाना जोशी जी की बात मान जाती है। पर जोशी जी ने तो कुछ और ही करने वाले थे।
जोशी जी ने गाँव के कुछ नौजवान और ताकतवर लोगो को इक्टठा किया और उनसे कहा। राजा जी का एक गुप्त संदेश है, कि गंगनाथ हमारे दुशमन राज्य का जाशूस है। और वो यहाँ हमारे राज्य की खुफिया जानकारी लेने आया है। पर राजा को ये पता है कि वो बहुत ताकतवर है। इसलिए उस से सामने से युद्ध नहीं किया जा सकता इसलिए उन्होंने गंगनाथ को सजा देना का उत्तरदायित्व मुझे सौप दिया है।
राज्य में सभी जानते थे कि जोशी जी राजा के अत्यधिक घनिष्ट है। तो वे सब जोशी जी की बात पे सहमत हो गये। जोशी जी ने उनहें काम हो जाने पे। उनके परिवार से किसी एक को सेना में नौकरी और धन देना का वयदा भी किया। पर जोशी जी जानते थे ये लोग गंगनाथ जी का सामना नहीं कर सकते है। तो उनहें ही कुछ करना पड़ेगा की गंगनाथ अपनी रक्षा ना कर सके।
जोशी जी ने एक सूचना गंगनाथ जी को भेजवायी कि रात्री को गाँव के बाहर वाले कुएँ पर मिले। हमे अपनी बेटी के रिशते को लेकर कुछ बात करनी है इस लिए हो सके तो अकेले आना। गंगनाथ जी ये संदेश पड़ के बहुत खुश हुए। और यथा स्थान पर समय पे अकेले ही पहुच गये। पर जोशी जी वहा पहले से मौजूद थे।
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